पितृ पक्ष (Pitru Paksha) में पड़ने वाली नवमी तिथि को मातृ नवमी कहा जाता है. मातृ नवमी को घर की उन महिलाओं की पूजा की जाती है, जिनका निधन हो चुका है. हिंदू धर्म (Hindu Religion) की रीति-रिवाज के अनुसार, गुजर चुकीं माताओं का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन श्राद्ध किया जाता है और मातृ ऋण से भी मुक्ति पाई जा सकती है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन श्राद्ध करने से व्यक्ति की मनोकानाएं पूरी होती हैं. इस तिथि को सौभाग्यवती नवमी भी कहा जाता है. मातृ ऋण को सबसे बड़ा ऋण माना जाता है. राहु का संबंध कुंडली में चतुर्थ भाव चन्द्रमा या शुक्र से हो तो समझ लें कि मातृ ऋण है. हाथों का कठोर होना और हथेलियों का काला होना भी मातृ ऋण का संकेत है. चतुर्थ भाव, चन्द्रमा और शुक्र ये तीनों माता और उसके संबंध के बारे में संकेतक का काम करते हैं. मातृऋण से उऋण न होने पर कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं. मातृनवमी पर सरलता के साथ मातृऋण से उऋण हुआ जा सकता है.
Navami Tithi falling in Pitru Paksha is called Matru Navami. Mother Navami is worshiped by the women of the house who have passed away. According to the customs of Hindu religion, Shradh is performed on this day to get the blessings of the mothers who have passed away and one can also get rid of maternal debt. It is said that performing Shradh on this day fulfills the wishes of a person. This date is also called Saubhagyavati Navami.Maternal loan is considered to be the biggest loan. If Rahu is related to the fourth house Moon or Venus in the horoscope, then understand that there is maternal debt. Hardening of hands and darkening of palms is also a sign of maternal debt. Fourth house, Moon and Venus, these three act as indicators about the mother and her relationship. Many types of problems arise when there is no loan from the mother loan. On Matrunavami, one can easily get rid of the debt of the mother.
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